Ashqiya

समंदर किनारे वो सूर्यास्त की झलकियां
दिन ढलने पर लौटती हुई कश्तिया
तेरे साथ की हुई छोटी छोटी मस्तिया
आज सताती है सब बन के अश्कियाँ |

उलटी सीधी हरकतो से तेरा मुझे सताना
तेरी कि हुई छोटी बड़ी गलतियां
मेरे लिए तेरे रूह किया सिसकियाँ
याद अति है आज बन के अश्कियाँ |

फ़ोन पर किया हुई ढेर सारी बतिया
बातो बातो मे जागना आधी आधी रतिया
तुझे दी हुई गुलाब कि वो कालिया
बन कर रह गयी आज सारी अश्कियाँ |

तेरे साथ कि हुई वो खट्टी मीठी लड़ाईयाँ
तेरे साथ ली हुई सारी अंगड़ाईयाँ
तेरे लिए छोड़ी जो हमने पढ़ाईयाँ
जान ले लेती है हर एक अश्कियाँ |

अश्क़ तो उन आँसुओ को कहते है
जो आँखों से निकला करते है
जब दिल से बहे दर्द का दरिया
तो उसे कहते है अश्कियाँ |

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