Waqt hi h deewar mera
बेहद मोहब्बत है तुमसे
जी जान से तुमको चाहता हुँ ,
बस वक़्त ही है दीवार मेरा
जिसे देख के मे घबराता हुँ ,
हालत मेरी क्या बतलाऊ
क्या जद्दोजहद मेरे मन मे है ,
हुँ मे उस रोज़ेदार की तरह
जो बैठा है इफ्तारी मे ,
लगी है उसको प्यास बहुत
गर्मी की दुश्वारी मे ,
ग्लास मे है वो पानी लिए
नज़र टिकी उसकी काँटों पे ,
टिक टिक है चलती है कैसे घड़ी
इफ्तारी के वक़्त साँसो मे ,
कुछ ऐसी ही है परिस्थिति मेरी
तुम समझो जो मे कहता हुँ
बस वक़्त ही है दीवार मेरा
जिसे देख के मे घबराता हुँ ||
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