नया आज जो भी है कल वो पुराना होगा

नया आज जो भी है कल वो पुराना होगा
महीना भी कल महीनों बाद सालाना होगा

उबलता हुआ खून भी कल ठंडा पड़ेगा
हिमाद्रि भी कल नदी बन के बहेगा

करलो चाहे अभिमान जितना हो तुम्हारे अहंकारी मे
बह जायेगा ये भी कल कारण किसी बीमारी मे

प्रजा बगैर कोई राजा, राजा नहीं होता
बिना कारण कभी किसी को ख़ासी भी नहीं खोता

सुना है सबकी बुराई करते हो तुम
नहीं तो बिछङने पर कोई तुम्हारी बुराई ना करता

बहुत है लोग शांति से चल रहे इसी राह मे
थोड़ी धूप, थोड़ी छाया, कोई बारिश की पनाह मे

करलो बुराई जितना चाहे दुनिया तुम्हारे हक़ मे है
दोगुना तुम्हे सुनना पड़ेगा ये बात नहीं अब शक़ मे है

अब आये है तो जाना पड़ेगा यही विधि का विधान है,
जी लो जितना दिल चाहे फिर खत्म हर बलवान है,

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