जिंदगी की राहो पर

जिंदगी की राहों पर फिर दौड़ने लगे हम,
फिर सपना कोई नया देखने लगे हम,
एक अरसे से सूखी पड़ी इस बंजर जमीन को,
महज कुछ बूंदों से फिर से सीचने लगे हम ||

बूंदे मिली है तो तालाब भी मिलेगा,
गर हो जज़्बा सींचने का तो फसल भी उगेगा,
आज सूखा है तू चिंता मत कर,
धैर्य रख, नदी भी कल तेरे आंगन से बहेगा ||

दो सीढ़िया चढ़ के कभी अभिमान मत करना,
अपने से बड़े फकीरों का भी सम्मान करना,
ये जिंदगी है यहां ऊचाइयां आती जाती रहती है,
जब लोग छोटे दिखने लगे तो खुद को आसमान मत समझना ||

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